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अपनी हिम्मत हैं की हम फिर भी जीये जा रहे हैं ..................

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कोख में आई जब मैं माँ के .. दादी ने दुआ दी पोते के लिए, बुआ ने मन्नत मांगी भतीजे के लिए पापा ने कहा मेरा लाल आ रहा हैं, मेरे वंश का चिराग आ रहा हैं ...... तब माँ ने मुझसे हौले से कहा डर मत मेरी रानी ! हर अबला की हैं यही कहानी फिर भी हम यही कहे जा रहे हैं .... अपनी हिम्मत हैं की हम फिर भी जीये  जा रहे हैं जब पहली बार मैंने आँखे खोली  दादी का मुंह बना हुआ था       बुआ  माँ से नाराज़ थी    पापा की ख़ुशी भी खामोश थी  पर मेरी माँ ने मुझे ये कह गले लगाया ! ओ रानी !.................ओ रानी ! अब मैं लिखूगी  तेरी कहानी  तब साहस का धैंर्य आया  चल पड़ी मैं माँ की ऊँगली थामे  सफलता की उड़ान से आगे  लोग पक्षपातों  का दोष हम पर मढ़े जा रहे हैं .... अपनी हिम्मत हैं की हम फिर भी जीये  जा रहे हैं माँ की रसोई से उस उठते हुए धुए को देख मुझे उनके भविष्य का अंधकार दिखा उनके गले का मंगलसूत्र मुझे किसी पालतू जानवर का पट्टा लगा उनके हाथो की चूड़िया ..हथकडिया लगी पर माँ चुप थी और खुश थी इस गुलामी से पर मैं नहीं ..... देख माँ की स्तब्धता मैंने भी