म श्री एडम्स केविन, Aiico बीमा ऋण ऋण कम्पनी को एक प्रतिनिधि हुँ तपाईं व्यापार को लागि व्यक्तिगत ऋण चाहिन्छ? तुरुन्तै आफ्नो ऋण स्थानान्तरण दस्तावेज संग अगाडी बढन adams.credi@gmail.com: हामी तपाईं रुचि हो भने यो इमेल मा हामीलाई सम्पर्क, 3% ब्याज दर मा ऋण दिन
लैपटॉप ले लो....... टैबलेट ले लो ......... वो भी बिल्कुल मुफ़्त हैं ऐसा ऑफर दुबारा नहीं मिलेगा तो आओ और ले जाओ वो भी वारंटी कार्ड के साथ. क्या लगता हैं आपको की ये किसी दुकानदार की कोई नई योजना हैं जनाब आप गलत फहमी में हैं ये हमारी उ. प सरकार की नई योजना हैं जो एक तरफ ''ऊंट के मुंह में जीरा " का काम कर रहा हैं तो दूसरी तरफ "आग में घी का काम ". ये योजना भले ही विद्यार्थी कल्याण के लिए बनाई गई हो पर फायदा तो सरकार का ही हो रहा हैं एक तीर से दो निशाने लगा रही हैं. ये जनता में प्रसाद भी बाँट रहे हैं और साथ ही प्रचार भी. यानि की जब आप ये लैपटॉप या टैब खोलेगे तो आपको इनकी सरकार के दर्शन करने ही पड़ेगे फिर वो चाहे वालपपेर , स्टीकर हो या फिर इनका बैग सभी पे रहेगा इनका नाम.पता नहीं इसमें कल्याण किसका हैं सरकार का या फिर विद्यार्थीयो का ? इसे आप आगे निकलने की होड़ कहे या फिर लुभाने का छलावा. शिक्षा दिन पर दिन अपने भाव बढाती जा रही हैं कई लोग वो नहीं पढ़ पा रहे हैं जिसमे उनकी रूचि हैं क्योकि उन विषयों की फीस इतनी जयदा हैं, कही कही तो लोगो को उनकी जरूरत तक
कोख में आई जब मैं माँ के .. दादी ने दुआ दी पोते के लिए, बुआ ने मन्नत मांगी भतीजे के लिए पापा ने कहा मेरा लाल आ रहा हैं, मेरे वंश का चिराग आ रहा हैं ...... तब माँ ने मुझसे हौले से कहा डर मत मेरी रानी ! हर अबला की हैं यही कहानी फिर भी हम यही कहे जा रहे हैं .... अपनी हिम्मत हैं की हम फिर भी जीये जा रहे हैं जब पहली बार मैंने आँखे खोली दादी का मुंह बना हुआ था बुआ माँ से नाराज़ थी पापा की ख़ुशी भी खामोश थी पर मेरी माँ ने मुझे ये कह गले लगाया ! ओ रानी !.................ओ रानी ! अब मैं लिखूगी तेरी कहानी तब साहस का धैंर्य आया चल पड़ी मैं माँ की ऊँगली थामे सफलता की उड़ान से आगे लोग पक्षपातों का दोष हम पर मढ़े जा रहे हैं .... अपनी हिम्मत हैं की हम फिर भी जीये जा रहे हैं माँ की रसोई से उस उठते हुए धुए को देख मुझे उनके भविष्य का अंधकार दिखा उनके गले का मंगलसूत्र मुझे किसी पालतू जानवर का पट्टा लगा उनके हाथो की चूड़िया ..हथकडिया लगी पर माँ चुप थी और खुश थी इस गुलामी से पर मैं नहीं ..... देख माँ की स्तब्धता मैंने भी
स पने देखना किसे अच्छा नहीं लगता ? लेकिन उन्हें पूरा करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। पर कोशिश हर कोई करता है। बस इसके लिए कोई सही राह चुनता है तो कोई गलत रास्ते पर चल देता है। लेकिन मंजिल किसे मिलनी ही ये उनका संघर्ष ही बताता है। ऐसे ही दो सपने पल रहे थे गाजियाबाद शहर में। प्रवीण और रश्मी, अब तक दोनों एक दूसरे से अन्जान काम की तलाश में भटक रहे थे। प्रवीण एक पढ़े-लिखे परिवार से था। मां सरकारी स्कूल में टीचर थी और पिता जी बैंक कर्मचारी। परिवार में सिर्फ तीन ही प्राणी थे। प्रवीण का सपना था कि वो एक फाइव स्टार होटल का मैनेजर बन जाए और फिर धीरे-धीरे वो एक खुद का एक होटल खोल ले। बस इसी ख्वाहिश को संजोए वो दिन-रात नौकरी तलाशने में लगा हुआ था। वहां दूसरी तरफ रश्मी भी कई दफ्तरों के चक्कर काट चुकी थी। लेकिन कहीं भी उसे आशा किरण न दिखी। रश्मी थी तो बनारस की लेकिन गाजियाबाद में अपनी दीदी और जीजा जी के साथ रहती थी। वह ट्रेफिक पुलिस इंस्पेक्टर थे। शादी को 10 साल हो गए थे। लेकिन अब तक कोई औलाद न थी। जिसकी वजह से वह आए दिन नशा करते और देर रात घर आया करते। रश्मी को अब यह सब अजीब
म श्री एडम्स केविन, Aiico बीमा ऋण ऋण कम्पनी को एक प्रतिनिधि हुँ तपाईं व्यापार को लागि व्यक्तिगत ऋण चाहिन्छ? तुरुन्तै आफ्नो ऋण स्थानान्तरण दस्तावेज संग अगाडी बढन adams.credi@gmail.com: हामी तपाईं रुचि हो भने यो इमेल मा हामीलाई सम्पर्क, 3% ब्याज दर मा ऋण दिन
ReplyDelete